वक़्त की फितरत है बदल जाता है
दिल बेचारा, मायूस हो जाये तो
फ़िर मुश्किल ही संभल पाता है
हम भी कभी तो बरामदे में बैठ कर
वक़्त बदलते देखने का हुनर सीख लेंगे
आरामकुर्सी पे, अलसाए तमाशाई बन के
वक़्त की करवाटों का लुत्फ़ लेंगे
और तब वक़्त को मुनासिब लगा तो
एक आध लम्हा उस से दिल भी लगा लेंगे,
मगर वक़्त की फितरत है बदल जाता है
Very nice
ReplyDeleteThanks🙏
DeleteWah kya baat hai.
ReplyDelete🙏 Thanks
DeleteVery well said
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DeleteTune dil ki fitrat ko nicelyexplain kiya excellent
ReplyDeleteThanks
DeleteVery simple and nice
ReplyDeleteThanks
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