Defining Being

As you may know me.... I try to pen my feelings, with more honesty than with language and grammar. While reading the posts below you may experience what compelled me to write these.
While I was thinking of giving a name to my Blog; this came to me; "Nuances of Being"
Being "Me" is the best that I am at and hope that will show in the posts below

And Thanks for reading

~Nikhil




Tuesday, October 13, 2015

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं - बचपन और बारिश

२ बातें आप से बांटी और बहुत ही अच्छा लगा,आपकी कुछ पुरानी यादें ताज़ा हुई और मेरा मन और भी लिखने का हुआ। तो एक और याद बाँट रहा हूँ आपको अच्छी लगे तो बताना , मेरे पास जो खजाना है वह मैं भेजता रहूँगा। …… तो अब एक और…… बचपन और बारिश एक ऐसा रिश्ता है जो सारे विश्व में सदियों से एक सा ही रहा है…बिना कुछ भी बद्ले… अगली कुछ पंक्तिया उस रिश्ते की याद में

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं 

जैसे मानसून की पहली बारिश 
उस बारिश की बहती धार में 
आकाश और धरा से एकसार होता बचपन
स्कूल से लौटते हुए ठहरे पानी में कूदना 
भीगी किताबों को छुपाते हुए बहानो को ढूढ़ना 
पकड़े जाने पर बादल, बारिश और ईश्वर तक पे दोष धरना 
कान पकड़ के माँ-पापा से फिर दोहराने का वादा करना 
वादा करते करते अगली बारिश की राह तकना 
मानसून की बारिश और बचपन का अटूट रिश्ता 
उस रिश्ते के स्वाद सालों बाद भी उतना ही ताज़ा 
वह बचपन वह बारिश वह स्वाद 

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती है 



जैसे पुरानी गली में नानी का घर 
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दादी और नानी बारिश की ही तरह, बचपन के साथी, और ऐसे साथी जिन से माँ और पापा तक डरते हैं फिर कोई भी घर हो या कोई भी युग.... जब तक आप अपने बचपन की बारिश को याद करते हैं तब तक मैं कुछ और ढूंढ़ता हूँ पिटारे से.... १-२ दिन में बांटूंगा मेरी एक और बेशकीमती चीज। .... 

पिछली यादों का पता नीचे है 
http://nuancesofbeing.blogspot.com/2015/10/blog-post_11.html
http://nuancesofbeing.blogspot.com/2015/10/blog-post_11.html

8 comments:

  1. It's really fantastic traveling through memory lanes

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  2. It's really fantastic traveling through memory lanes

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  3. Thanks Bhai ...With the encouragement I am getting, I will be posting a few more in this line :)

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  4. Really very good. you recalled me my dayalbagh wale din

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  5. Really very good. you recalled me my dayalbagh wale din

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  6. Good old days Naini, those were way too much fun..isn't it?

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  7. Subah ho, shaam ho ya do-pahar, jab bhi pardha hoon, Woh yaadein ekdum se hari ho jaati hai.....sukriya un yaadon ko taaza karne ke liye!

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  8. ज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया :)। …अच्छा लगता है जब अपनी कही हुई बात किसी दोस्त को पसंद आये। ।एक आध दिन में कुछ और भी लिखता हूँ।

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