Defining Being

As you may know me.... I try to pen my feelings, with more honesty than with language and grammar. While reading the posts below you may experience what compelled me to write these.
While I was thinking of giving a name to my Blog; this came to me; "Nuances of Being"
Being "Me" is the best that I am at and hope that will show in the posts below

And Thanks for reading

~Nikhil




Sunday, October 11, 2015

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं - धूप

लगता है बारिश और चाय की याद आपको भी वहां ले गयी जहा से मुझे उन पंक्तियों को लिखने की प्रेरणा मिली थी। ………

मैंने वादा किया था कुछ धूप की आंच बांटने का … तो जहाँ उस दिन छोड़ा था वहां से शुरू करते है.... अगर आपने उस दिन वाली पंक्तिया नहीं पढ़ी तो उनका पता नीचे है....
http://nuancesofbeing.blogspot.com/2015/10/blog-post.html

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सालों पहले की बारिश 
उस बारिश के गीले लम्हों की भीगी हुई याद 
कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं 

जैसे गर्मी में दोपहर की चमकती सी धूप 
उस धूप की आंच से तपे हुए से बदन का 
शुक्रिया सुनती शाम की गुनगुनी ठंडक 
उस ठंडक में गली के नुक्कड़ से खरीदी 
डंडी वाली कुल्फी होंठों से अंतर्मन तक 
शीतल फुहार से बन के घुलती 
उस घुलती ठंडी मिठास के साथ शाम का रात में घुलना 
रात के काले रंगमंच पे चमकते चाँद और तारो का खेल 
उस खेल को आँगन में चारपाइयों पे उलटे लेटे देखना 
और उस खेल में अचानक पूरब से आती ठंडी हवा का लुत्फ़ 
और उस हवा से भी ताज़ा दोस्तों की ठिठोली 
सालों पहले की वह ठंडक पहुचती सी गर्मिया 

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं 


जैसे मानसून की पहली बारिश 
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बारिश हर उम्र में एक अलग एहसास जगाती है…। और सब से पहले बचपन और बारिश का साथ....उस साथ को साँझा करूँगा १-२ दिन बाद…। 
पढ़िए और मुझे बताइये कहीं कोने में वह याद गर्मियों की ने करवट ली क्या?

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