एक और याद, एक और खज़ाना। … मेरे भाई और बहने शायद इन पंक्तियों में उस कल को देख सके जो अब बहुत बदल गया है…। ममेरे , चचेरे भाई और बहने कुछ जो बड़े होते होते बहुत बड़े हो गए और कुछ जो बहुत बड़े हो कर भी इतने बड़े नहीं हुए… उनकी याद में लिपटी हुई कुछ बातें…उम्मेीद है एक मुस्कान चेहरे पर लाएंगी.... मुझ से वो मुस्कान सांझी करना अगर हो सके तो । … इस के बाद कुछ दिन तक मै इसी खजाने से खेलूंगा … कुछ दिनों बाद फिर आऊंगा शायद और कुछ ले कर
वह बचपन वह बारिश वह स्वाद
कुछ चीज़ें बेशकीमती होती है
जैसे पुरानी गली में नानी का घर
नानी से भी पुराना नानी का घर
और घर से भी पुरानी, पुरानी गली
हर किसी का हर किसी को जानना
हर किसी का हर किसी को पूछना
टूटती दीवारें सुनाती घर के इतिहास की गाथा
वही कहानी हर जाने अनजाने से फिर फिर सुनना
चरमराते दरवाजे के उस तरफ से
पुरानी भव्यता को न देख के भी देखना
रात छत पे, नवारी मंजो पर लेट कर
तारों से और सारों से घंटो बतिआना
बातों का फिर सपनों में बदलना और
सपनो का बारिश की बूंदो से नम हो खुल जाना
बूँदों को लांघ कर बिस्तर समेटना
और खिलखिला के दौड़ना बरसाती की पनाह में
बरसाती में फिर बातों से सपनो तक टहलना
वो गली, वो घर, वो छत, वो बरसाती
और बातों के स्वाद में घुली बारिश की मटमैली महक
कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं
जैसे छोटे छोटे दोस्तों के बड़े बड़े मंसूबे
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