Defining Being

As you may know me.... I try to pen my feelings, with more honesty than with language and grammar. While reading the posts below you may experience what compelled me to write these.
While I was thinking of giving a name to my Blog; this came to me; "Nuances of Being"
Being "Me" is the best that I am at and hope that will show in the posts below

And Thanks for reading

~Nikhil




Thursday, October 15, 2015

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती है - नानी का घर


एक और याद, एक और खज़ाना। … मेरे भाई और बहने शायद इन पंक्तियों में उस कल को देख सके जो अब बहुत बदल गया है…। ममेरे , चचेरे भाई और बहने कुछ जो बड़े होते होते बहुत बड़े हो गए और कुछ जो बहुत बड़े हो कर भी इतने बड़े नहीं हुए… उनकी याद में लिपटी हुई कुछ बातें…उम्मेीद है एक मुस्कान चेहरे पर लाएंगी.... मुझ से वो मुस्कान सांझी करना अगर हो सके तो । … इस के बाद कुछ दिन तक मै इसी खजाने से खेलूंगा … कुछ दिनों बाद फिर आऊंगा शायद और कुछ ले कर





वह बचपन वह बारिश वह स्वाद 

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती है 

जैसे पुरानी गली में नानी का घर 
नानी से भी पुराना नानी का घर 
और घर से भी पुरानी, पुरानी गली 
हर किसी का हर किसी को जानना 
हर किसी का हर किसी को पूछना 
टूटती दीवारें सुनाती घर के इतिहास की गाथा 
वही कहानी हर जाने अनजाने से फिर फिर सुनना 
चरमराते दरवाजे के उस तरफ से 
पुरानी भव्यता को देख के भी देखना 
रात छत पे, नवारी मंजो पर लेट कर 
तारों से और सारों से घंटो बतिआना 
बातों का फिर सपनों में बदलना और 
सपनो का बारिश की बूंदो से नम हो खुल जाना 
बूँदों को लांघ कर बिस्तर समेटना 
और खिलखिला के दौड़ना बरसाती की पनाह में 
बरसाती में फिर बातों से सपनो तक टहलना 
वो गली, वो घर, वो छत, वो बरसाती 
और बातों के स्वाद में घुली बारिश की मटमैली  महक 

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं 


जैसे छोटे छोटे दोस्तों के बड़े बड़े मंसूबे 
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Tuesday, October 13, 2015

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं - बचपन और बारिश

२ बातें आप से बांटी और बहुत ही अच्छा लगा,आपकी कुछ पुरानी यादें ताज़ा हुई और मेरा मन और भी लिखने का हुआ। तो एक और याद बाँट रहा हूँ आपको अच्छी लगे तो बताना , मेरे पास जो खजाना है वह मैं भेजता रहूँगा। …… तो अब एक और…… बचपन और बारिश एक ऐसा रिश्ता है जो सारे विश्व में सदियों से एक सा ही रहा है…बिना कुछ भी बद्ले… अगली कुछ पंक्तिया उस रिश्ते की याद में

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं 

जैसे मानसून की पहली बारिश 
उस बारिश की बहती धार में 
आकाश और धरा से एकसार होता बचपन
स्कूल से लौटते हुए ठहरे पानी में कूदना 
भीगी किताबों को छुपाते हुए बहानो को ढूढ़ना 
पकड़े जाने पर बादल, बारिश और ईश्वर तक पे दोष धरना 
कान पकड़ के माँ-पापा से फिर दोहराने का वादा करना 
वादा करते करते अगली बारिश की राह तकना 
मानसून की बारिश और बचपन का अटूट रिश्ता 
उस रिश्ते के स्वाद सालों बाद भी उतना ही ताज़ा 
वह बचपन वह बारिश वह स्वाद 

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती है 



जैसे पुरानी गली में नानी का घर 
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दादी और नानी बारिश की ही तरह, बचपन के साथी, और ऐसे साथी जिन से माँ और पापा तक डरते हैं फिर कोई भी घर हो या कोई भी युग.... जब तक आप अपने बचपन की बारिश को याद करते हैं तब तक मैं कुछ और ढूंढ़ता हूँ पिटारे से.... १-२ दिन में बांटूंगा मेरी एक और बेशकीमती चीज। .... 

पिछली यादों का पता नीचे है 
http://nuancesofbeing.blogspot.com/2015/10/blog-post_11.html
http://nuancesofbeing.blogspot.com/2015/10/blog-post_11.html

Sunday, October 11, 2015

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं - धूप

लगता है बारिश और चाय की याद आपको भी वहां ले गयी जहा से मुझे उन पंक्तियों को लिखने की प्रेरणा मिली थी। ………

मैंने वादा किया था कुछ धूप की आंच बांटने का … तो जहाँ उस दिन छोड़ा था वहां से शुरू करते है.... अगर आपने उस दिन वाली पंक्तिया नहीं पढ़ी तो उनका पता नीचे है....
http://nuancesofbeing.blogspot.com/2015/10/blog-post.html

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सालों पहले की बारिश 
उस बारिश के गीले लम्हों की भीगी हुई याद 
कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं 

जैसे गर्मी में दोपहर की चमकती सी धूप 
उस धूप की आंच से तपे हुए से बदन का 
शुक्रिया सुनती शाम की गुनगुनी ठंडक 
उस ठंडक में गली के नुक्कड़ से खरीदी 
डंडी वाली कुल्फी होंठों से अंतर्मन तक 
शीतल फुहार से बन के घुलती 
उस घुलती ठंडी मिठास के साथ शाम का रात में घुलना 
रात के काले रंगमंच पे चमकते चाँद और तारो का खेल 
उस खेल को आँगन में चारपाइयों पे उलटे लेटे देखना 
और उस खेल में अचानक पूरब से आती ठंडी हवा का लुत्फ़ 
और उस हवा से भी ताज़ा दोस्तों की ठिठोली 
सालों पहले की वह ठंडक पहुचती सी गर्मिया 

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं 


जैसे मानसून की पहली बारिश 
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बारिश हर उम्र में एक अलग एहसास जगाती है…। और सब से पहले बचपन और बारिश का साथ....उस साथ को साँझा करूँगा १-२ दिन बाद…। 
पढ़िए और मुझे बताइये कहीं कोने में वह याद गर्मियों की ने करवट ली क्या?

Thursday, October 8, 2015

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं

An Ode to the things that are so priceless and almost timeless, things that one can ignore occasionally but can not lose from the mind..... Sharing a few such items in next few days starting with the one today.
Apologies for the fiends who font read Hindi and I tried to translate but could translate the words and not the emotions so I gave up (for now...will try again) .......

सोचता हूँ यह पड़ के शायद कुछ मन के कोने से बातें आपको भी याद आये और आप अपनी बेशकीमती चीज़ें मेरे साथ भी बाँटें। ……


कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं 

जैसे खिड़की के पक्के कांच पर गिरती हुई बारिश की कच्ची बूँदें 
गिर के टूटती हुई उन बूंदों को देखना 
हाथ में थामे हुए गर्म चाय का गर्म प्याला 
चाय की गुनगुनी चुस्कियों की आवाज़ का स्वाद 
कुछ ज़बान पे छूटता और कुछ कानों में घुलता हुआ
उस स्वाद से मिली-भगत कर सांस को चटकाती 
रसोई में बनते हुए पकोड़ों की मिर्चीली महक 
उस महक में मिलता खट्टी मीठी चटनियों का रस
सालों पहले की बारिश 
उस बारिश के गीले लम्हों की भीगी हुई याद 

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं 


जैसे गर्मी में दोपहर की चमकती सी धूप  ………। 
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आप बारिश में भीगने के एहसास को सोचिये। 
धूप की आंच १-२ दिन बाद 

आपकी राय की प्रतीक्षा रहेगी.......