Defining Being

As you may know me.... I try to pen my feelings, with more honesty than with language and grammar. While reading the posts below you may experience what compelled me to write these.
While I was thinking of giving a name to my Blog; this came to me; "Nuances of Being"
Being "Me" is the best that I am at and hope that will show in the posts below

And Thanks for reading

~Nikhil




Thursday, November 10, 2016

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं - कॉलेज के दिन

पिछले साल ग़र याद हो, अपनी कुछ बेशकीमती यादो तो आप सब को सुनाया था । कुछ पुराने लम्हे साँझा किये और फिर से जिये । वादा किया और कुछ कहने का, पर मसरूफियत यादो को धुन्दला देती है.... आज एक और बेशकीमती याद बाँट रहा हूँ, शायद फिर से पिछले साल जैसा सिलसिला शुरू हो सके. नीचे पिछली यादों का पता भी है, अगर फिर से उन्हें देखने का दिल करे।
अच्छा लगे तो बताना.....

http://nuancesofbeing.blogspot.com/2015/10/blog-post.html
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अब कॉलेज के दिन,,,,,,,,

कुछ चीज़ें बेशकीमती होती हैं
जैसे कॉलेज के वो पहले दिन
सतरंगे और रुपहले दिन
नए लोग, नयी जगह
नई चुनौती नई वजह
कुछ कर गुज़रने का जज़्बा
पर मस्ती करने करने की मंशा
कैंटीन की चाय और ब्रेड पकोड़े
जान से प्यारे दोस्त --- थोड़े
हॉस्टल से मेस तक ठहाके लगाना
मेस के खाने में गलती बताना
परीक्षा के दिनों दिन -रात जागना
परिणाम वाले दिन  मंदिर को भागना
छोटी-छोटी बातोँ पर भी धरने का सोचना
ज़िन्दगी में कुछ बड़ा कर गुज़रने का सोचना
दिवाली पे घर वालो को याद कर
दोस्तों संग अनार -पटाखे फोड़ना
वह चार साल नई ज़िन्दगी बना गए
क्या कुछ सिखाया क्या कुछ दिला गए
अब भी याद में ताज़ा है
कॉलेज के वो पहले दिन _ _ _कुछ चीज़े बेशकीमती होती हैं


कुछ चीज़े बेशकीमती होती हैं
जैसे........ 



4 comments:

  1. beautifully said, just felt nostalgic. Good old college days!

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  2. Thanks..the pics help me re-live some of those moments

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  3. Very beautifully written and reminded of golden days

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    1. Thanks Bhai, Seeing my own pics from those days is as if I am seeing someone else :)

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