At times I am stuck in small stuff so much that I become oblivious of the big picture. And then some times I miss the target and think that it was the small stuff adherence causing it? Tried to sum that feeling below!!!!
मैं तो काबिल था की गुम्बद का सितारा बनता
पर अगर नीव के मेख़ में ना उलझा होता
तूने जो चाँद दिखाने की कोशिश की
देखता चाँद का हुस्न भी अगर
तेरी ऊँगली के ख़म को ना टोका होता
जिंदगी आ के दर पे दस्तक देती थी
किवाड़ खोल के उसको गले लगाता जो
नंगे पाव को गीले फर्श ने ना रोका होता
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