जिन्हे मंज़िले दरकार हों
हम रास्तो के कायल हैँ
हमको कहाँ ले जाइएगा?
पेड़ो, पंछियो, नदियों की
आज़ादी से मुतासिर हैं हम
रसमों रवाज़ों की जंज़ीर से
हमें कैसे बाँध पाइएगा?
दोस्ती से, प्यार से, कुछ मीठे
बोल चाल से, हम बिके बेभाव.
ताकत, दौलत के ज़ोर पे
हमको न खरीद पाइएगा
और रहनुमा उनको मिलें
जिन्हे मंज़िले दरकार हों
हम रास्तो के कायल हैँ
हमको कहाँ ले जाइएगा?
Your poetry touches hear and soul. Very well written.
ReplyDeleteThanks bhai 🙏
DeleteFantastic 😊
ReplyDeleteThanks Anu 🙏
DeleteOutstanding tinu bhaiya.
ReplyDeleteThanks 🙏
DeleteTeredil se ki gehraion se nikli yeh kavita aur vichar aap ka pariche hai sach tumsab bandono se mukat writer ho
ReplyDeleteThanks Mummy
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