This past weekend I went with my kids for a kite flying festival. While we were enjoying the kites that floated in the air, I just saw some unfortunate ones stuck in the trees. Felt like they needed someone to tell their story and I wrote the lines below. As all kites are made with the purpose to fly and not to be stuck. Hope you like the thought…..
उड़ने को ही निकली थी
बादल पंछी खुली हवा को
छूने को ही निकली थी
पर जब कहीं झोंके से टकरा
पेड़ के काँटों में उलझी तो
उड़ने के सपने टूट गए हैँ
उस सच को जब समझी तो
हसरत से आसमां को देख
लब से एक सिसकी निकली तो
मांझे ने भी सुनी नहीं
उड़ती पतंगे आसमां में
आठखेलिया करती रही
उलझी पतंग काँटों में से
सिसकियाँ भरती रही
आपस में एक दूसरे की
बात भी ना सुन पाई
दोनों में दुरी का होना
किस्मत का ही खेल हुआ
कौन गलत तो कौन सही
यह मुद्दा ही बे मेल हुआ
किस्मत बदलेंगी तो हवा
थोड़ा रुख बदल भी लेगी
काँटों में उलझी डोरी
फिर एक बार सुलझ भी लेगी
तब सपने के आसमां को
एक छलांग में छू लेना
आज हो उलझी ले, कल उड़ना
उड़ के बादल तो सेहला देना
और अपनी उड़ती सखियों के
पास जा के बस मुस्का देना
सांझे सपने की साँझ को
फिर एक बार जगा भी देना
और उड़ना खुले गगन में
वही तुम्हारा गणतंव्य हैँ
Wow very well written. Emotions captured in very impressive manner
ReplyDeleteThanks bhai
DeleteGood lot of thoughts put together
ReplyDeleteThanks
DeleteWonderful Poem
ReplyDeleteThanks
Deleteबहुत बहुत बधाई, एक यथार्थ को कविता में माला के मोतियों की तरह पिरोने और कलमबद्ध करने के लिए।
ReplyDeleteज़र्रानावज़ी का शुक्रिया Papa 🙏
DeleteVery nice
ReplyDeleteThanks mummy 🙏
DeleteNice thoughts Ualways think best ideology how to negativity convert to positivity nice sadhuwad
ReplyDeleteThanks Mummy
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