Defining Being

As you may know me.... I try to pen my feelings, with more honesty than with language and grammar. While reading the posts below you may experience what compelled me to write these.
While I was thinking of giving a name to my Blog; this came to me; "Nuances of Being"
Being "Me" is the best that I am at and hope that will show in the posts below

And Thanks for reading

~Nikhil




Monday, March 28, 2022

उलझी पतंग

 This past weekend I went with my kids for a kite flying festival. While we were enjoying the kites that floated in the air, I just saw some unfortunate ones stuck in the trees. Felt like they needed someone to tell their story and I wrote the lines below. As all kites are made with the purpose to fly and not to be stuck. Hope you like the thought…..


है पतंग, मांझे से बंध कर
उड़ने को ही निकली थी
बादल पंछी खुली हवा को
छूने को ही निकली थी

पर जब कहीं झोंके से टकरा 
पेड़ के काँटों में उलझी तो
उड़ने के सपने टूट गए हैँ 
उस सच को जब समझी तो
हसरत से आसमां को देख
लब से एक सिसकी निकली तो
मांझे ने भी सुनी नहीं

उड़ती पतंगे आसमां में
आठखेलिया करती रही
उलझी पतंग काँटों में से
सिसकियाँ भरती रही
आपस में एक दूसरे की
बात भी ना सुन पाई
दोनों में दुरी का होना
किस्मत का ही खेल हुआ
कौन गलत तो कौन सही
यह मुद्दा ही बे मेल हुआ

किस्मत बदलेंगी तो हवा
थोड़ा रुख बदल भी लेगी
काँटों में उलझी डोरी
फिर एक बार  सुलझ भी लेगी
तब सपने के आसमां को 
एक छलांग में छू लेना
आज हो उलझी ले, कल उड़ना
उड़ के बादल तो सेहला देना
और अपनी उड़ती सखियों  के
पास जा के बस मुस्का देना
सांझे सपने की साँझ को
फिर एक बार जगा भी देना
और उड़ना खुले गगन में
वही  तुम्हारा गणतंव्य हैँ 


12 comments:

  1. Wow very well written. Emotions captured in very impressive manner

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  2. Good lot of thoughts put together

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  3. बहुत बहुत बधाई, एक यथार्थ को कविता में माला के मोतियों की तरह पिरोने और कलमबद्ध करने के लिए।

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    1. ज़र्रानावज़ी का शुक्रिया Papa 🙏

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  4. Nice thoughts Ualways think best ideology how to negativity convert to positivity nice sadhuwad

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