An ode to the unsaid .....
अनकहे
अनकहे
कुछ अनकहे लफ्ज़ जो होठों पे आते रुक जाते हैं
कुछ अधूरे अरमां दिल में दबे हुए, बस वही सो जाते हैं
वह सपने जो नींद उड़ा दिया करते थे कभी
वो भी अनजानों की तरह अब मिलने को कतराते हैं
कुछ हवा बदल गयी शायद. या समां बदल गया है
दुनिया नहीं है पहले सी , यह जहाँ बदल गया है
वक्त चल रहा हमेशा पर अब रफ़्तार बढ़ गयी
बस हम बदल नहीं सके, साथ चल नहीं सके
न मंज़िले वही रही और रास्ता बदल गया
वो "अपने सा बेकार" यार था जो कभी ,
अब वो भी अपनी मसरूफ़ियत है बुन रहा है
सपने ग़र आ भी जाये तो, आ के सहम से जाते हैं
जब अपनी ताबीर की न कोई वजह पाते हैं
और
कुछ अनकहे लफ्ज़ जो होठों पे आते रुक जाते हैं
कुछ अधूरे अरमां दिल में दबे हुए, वही सो जाते हैं
वह सपने जो नींद उड़ा दिया करते थे कभी
वो भी अनजानों की तरह अब मिलने को कतराते हैं
Beautiful words, heart touching
ReplyDeleteThanks Bhai
DeleteToo good, I think there is something for everyone in it, ya some thoughts touched me and it conveys a lot.
ReplyDeleteTinu I still have your "prayas" with me
Thanks Bhai
DeleteUltimate टीनू भैया
ReplyDeleteमज़ा आ गया ।
No लफ्ज़ to say how beautiful it is ।
Thanks Golu bhai
DeleteMeaningful, Beautiful, Touching. All in one.. Hats off to you...
ReplyDeleteThanks Naini
DeleteA real poet in you Bhaiya..well done... N keep it up👌👌👌
ReplyDeleteThanks Anu
Deletevery touching, bas apni udaan ko zaari rakhna, stay blessed.
ReplyDeleteMere.dil.kibaat.keh.di
ReplyDeleteExcellent.explain.karne
Ke.liye.No.words.pyar.aa.gaya
Thanks
DeleteAmazing Poem chachu!! Very heart touching!!
ReplyDeleteThanks Suraj
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