Note: Originally I wrote and posted this in 2013, I was reading this today, and felt that I and many I know can still use the message I tried to give myself with this.....
"एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट-घट में लेटा।"
यह कविता प्रयास है उस घट में लेटे राम को समर्पित जिसे हमारे विचार और आचरण बनाते हैं
Ram and Ravan, the most famous characters from hindu mythology. Both opposite of each other. But both have so many similarities. I think it was not the birth or the character that made Ram whom we all worship and Ravan who is despised by generations.Rather it was the choice of actions and the life they lived that decided who gets what status in the eyes of generations to come.Many a times i see we are at that crossroad in our mind where the action we chose will define our life ahead.The poem below is a humble attempt to keep the mind focused while making the choice of action. Please read and comment.
मर्यादा पुरषोत्तम राम और
हठधर्मी मायावी रावण
दोनों ही हर मन के भीतर
लड़ रहे युद्ध निरंतर
राम भक्त शिव भोले के
शंभू का उपासक रावण भी
राम शौर्य की मूरत तो
वीरता का धारक रावण भी
राम का त्याग अनुकरणीय तो
रावण का तप भी दृष्टांत योग्य
भरत, लक्ष्मण का बंधुत्व उल्लेखनीय तो
कुम्भकरण का भ्रत्रिप्रेम भी दृष्टांत योग्य
बस दंभ अगर न करता तो
रावण भी राम सा हो सकता था
जो सीता को न हरता तो
रावण भी राम सा हो सकता था
शिव के वर को पा कर जो
मन में अहम् न आने देता
श्रूप्नखा का सत्य जानता
न स्वयं को छल जाने देता
धीरज से अगला पग धरता
बात से स्तिथि को हल जो करता
तो न राज्य और कुटुंब गवाता
तो न अपमानित हो मृत्यु पाता
संयम मन में हो तो राम है
निरंकुश दंभ रावण समान है
मन मर्यादा में रहे तो पुरुषोतम
मर्यादा टूटे मन में तो रावण
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