थके हुए पथिक तेरे
चरणों को प्रणाम |
वोह जिन्होंने हिम्मत कर के,
ड्योड़ी से बहार कदम उठाया,
वोह जिन्होंने मीलो नापी
रास्तो को भी दोस्त बनाया,
वोह जिन्होंने अपने चिन्ह
जाने कितनी जगह पे छोड़े,
वोह जिन्होंने परवाह न की
राह में थे गड्ढे या रोड़े|
रिसते छालों को ढकने को
अधरों पर रही मुस्कान,
थके हुए पथिक तेरे
चरणों को प्रणाम।।
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