वो रास्ते जिन पर मैं बढ़ा नहीं
वो मोड़ जिन्हे मैं मुड़ा नहीं
वो काम कभी जो किये नहीं
वो नाम कभी जो लिए नहीं
वो अच्छे थे या नहीं, क्या पता
पर अब दिल से माफ़ी उनको
वो मोड़ जिन्हे मैं मुड़ा नहीं
वो काम कभी जो किये नहीं
वो नाम कभी जो लिए नहीं
वो अच्छे थे या नहीं, क्या पता
पर अब दिल से माफ़ी उनको
शायद कोई रास्ता मंज़िल का होता
शायद कोई मोड़ महफ़िल का होता
शायद किसी काम से सिद्धि होती
शायद किसी नाम से दोस्ती होती
कुछ भला होता या नहीं, क्या पता
पर अब दिल से माफ़ी उनको
शायद कोई मोड़ महफ़िल का होता
शायद किसी काम से सिद्धि होती
शायद किसी नाम से दोस्ती होती
कुछ भला होता या नहीं, क्या पता
पर अब दिल से माफ़ी उनको
तुम पूछो तो कहता हूँ
कि क्या सोचता रहता हूँ
किसी राह बढ़ जाता क्या?
किसी मोड़ मुड़ जाता क्या?
कोई नया काम कर जाता क्या?
कोई नया नाम पढ़ जाता क्या?
तो क्या अब कुछ बदला होता?
अच्छा होता या नहीं , क्या पता
पर अब दिल से माफ़ी सबको
कि क्या सोचता रहता हूँ
किसी राह बढ़ जाता क्या?
किसी मोड़ मुड़ जाता क्या?
कोई नया काम कर जाता क्या?
कोई नया नाम पढ़ जाता क्या?
तो क्या अब कुछ बदला होता?
अच्छा होता या नहीं , क्या पता
पर अब दिल से माफ़ी सबको