Having just celebrated India's Independence day this month, I have been thinking. Patriotism always has a high place in my mind and I have always been proud of my being Patriotic. Now that I am a US citizen and I am still patriotic, it doesn't have to change my love for my birth country. I think most of my ideas are grounded in another feeling, Humanity.
What if one have to chose between being human or being patriotic? I know this is a tough choice. So I wrote the lines below, which may make it easier. Just a thought and if I offend you with this, then accept my preemptive apology
ना देश प्रेम की बात भी हो
हम एक विश्व हम एक कुटुंभ
ना दुश्मनी द्वेष की बात भी हो
ना जंग रहे ना फ़ौज रहे
ना झंडे ना ही कोई राष्ट्रगान
ना करना हो दूजे का तिरस्कार
ना ही अपने पे अभिमान
हम सब मानव, हम एक जात
सब आगे बढ़ें, हम एक साथ
स्पर्धा प्रतिस्पर्धा से ऊपर उठ कर
विश्व कल्याण की ही हो बात
ना दास रहे ना दासता
ना स्वतंत्रता के लिए लड़े
ना ऊँचा ना नीचा कोई
एक साथ एक ओर बड़े
एक साथ एक ओर बड़े
स्वतंत्रता दिवस निराला
वो दिन जब मानव ने खुद को
सच में स्वतन्त्र कर डाला
और तब
देश ना हो ना हो सरहद
ना देश प्रेम की बात भी हो
हम एक विश्व हम एक कुटुंभ
ना दुश्मनी द्वेष की बात भी हो