Some days a thousand thoughts will sprout in mind, and they all want them to be heard, at the same time. Little they know that all at the same time make noise and not any sense. But enjoying their presence through the lines below
चहलकदमी करती रही हज़ार बातें ज़हन में
उनके कदमों की आहट ने रात सोने न दिया
परेशां दिन, परेशां शाम परेशां रात भर रहे पर
तुम
परेशां
न हो जाओ इस ख्याल ने रोने न दिया
रोज़ चाहा कि हम कुछ अलग सा कर जाये मगर
कभी खुद ने , कभी हालत ने यह होने न दिया