Have you ever been in a random discussion with friends or family, have you noticed how memories start flooding in when some old reference is made, this is a request to all to keep on stirring that pool so that memories keep on beautifying the days.......
मन का सरोवर जितना गहरा,
याद -तरंगें
यादों के ठहरे पानी में
इक बात का कंकर फेंको तो
लहरें सी बन जाती हैं
कितनी बातें, कितनी यादें
इक दूजे के पीछे पीछे
इक दूजे से बंधी बंधी
भागी सी चलती ही आती हैं |
उतना ही ठहरा होता है
लाखों तरंगें उस में ही कहीं
इक कंकर की आस लिये
युगों युगंतर बैठी रहती
सतह के नीचे, बिन साँस लिये
बस एक कंकर आवारा कहीं से
आ जाये तो उनका प्राण बने
घंटो तक यादों का, बातों का सामान बने
बस एक कंकर उछाल दो
कोई इक बात शुरू करो
किसी लम्हे की मिसाल दो
और फिर देखो वो कई यादें
बंधी सी चली आएँगी
उस भूले दिन की भूली बातें
फिर ताज़ा हो जाएँगी